उनका ख्याल आते ही , इक और खायाल आया
मुद्दत हुई है यार का , कोई ना हाल आया ...
सावन में रुत ना बरसी , ना बसंत फूल लाया
तेरे प्यार में तेरे बिन , ऐसा भी साल आया ...
चाहोगी भी तो मुझको , अब कुछ ना कर सकोगी
माजी की क़ैद में मैं , खुद को संभाल आया ...
तस्वीर देखता हूँ , हर रोज़ मैं तुम्हारी
क्या तुमको भी कभी यूँ मेरा ख्याल आया ?
यादों के ढेर पे मैं , बैठा रहा , अकेला
जितनी भी हसरतें थीं , यूँ ही निकाल आया
जितने भी ख़त लिखे थे , शिकवे शिकायतों के
मैं आज उन सभी को पानी में डाल आया ...
उनका ख्याल आते ही इक और ख्याल आया
मुद्दत हुई है यार का , कोई ना हाल आया ...
Hmmm.....yeh aapki Diary mein padhi thi maine..chupke se..Sorry Uncle ji
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