Labels


Monday 30 December 2013

मुझे खामोश रहने दो ..

मुझे खामोश रहने दो ..
मुझे खामोश रहने दो ,
सुना है इश्क़ सच्चा हो ,
तो ख़ामोशी लहू  बन  कर ,
रगों में नाच उठती है ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ,
उसे मैं क्यूँ बताऊँ ,
उसे मैंने कितना चाहा है ,
बताया तो झूठ जाता है ,
कि ...
सच्ची बात की खुश्बू ,
तो खुद महसूस होती  है ,
मेरी बातें ,
मेरी सोचें ,
उसे खुद जान लेने दो ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ..

Tuesday 24 September 2013





एक  ये  ख्वाहिश  के  कोई  ज़ख्म    देखे  दिल  का ;

एक  ये  हसरत  के  काश कोई  देखने  वाला  होता .






मौत  के  बाद  याद    रहा  है  कोई
मिटटी  मेरी  कब्र  से  उठा  रहा  है  कोई ,

या  खुद  दो  पल  की  मोहलत  और  दे  दे
उदास  मेरी  कब्र  से  जा  रहा  है  कोई .


मेरे सजदों  में  कमी  तो    थी , दोस्त!
क्या  मुझ  से  भी  बढ़ के  किसी  ने  माँगा  था  तुझे ?


मेरे दिल की ख्वाहिशें रह रह कर पूछेंगी एक दिन उस से ;

किस को आबाद किया है मुझ को बर्बाद कर के !

Monday 9 September 2013



आज टूट कर उसकी याद आई तो एहसास हुआ 
उतर जाएँ जो दिल में वो भुलाये नहीं जाते ......
वक़्त लेता है करवटें  न जाने कैसे कैसे;
उम्र इतनी तो नहीं थी जितने सबक सीख लिए हमने !

Monday 19 August 2013

ज़माने  वाले  अक्सर  मेरे  मरने  की  दुआ  करते  हैं .
न  जाने  वो  कौन  सा  शख्स  है  जिस  की  दुआ  से  मैं  जी  रहा  हूँ ...

Tuesday 30 April 2013

बेरुखी




तेरी  बेरुखी  का  एक  दिन  अंजाम  यही होगा ,
आखिर  भुला  ही  देंगे तुझे  याद  करते  करते ..!!

Tuesday 16 April 2013

"ज़िन्दा हूँ मै"..

अरसे बाद आज
हुई बात उनसे,
तो जाना कि 
"ज़िन्दा हूँ मै"...

कुछ जवाब-सवालात ने
वो पल लौटा दिए फिर से,
याद आये वो पल तो जाना कि
"ज़िन्दा हूँ मै"...

झरने की तरह
होंठों से फूटती वो हंसी,
अमरत्व का रस, सा
उस एक पल में घोल गयी...

उबरी जो एकाएक
उस एहसास से,
तो जाना कि
'ज़िन्दा हूँ मै' ...

Monday 15 April 2013

मेरा वजूद..

मुझको बतलाओ मुझे, कैसे भुलाओगी तुम!
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगी तुम!

मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगी तुम!

मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगी तुम!

खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगी तुम!

ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगी तुम!"
 



Friday 1 March 2013




वापसी   का  सफ़र  अब  मुमकिन  ना होगा ...
हम  तो  निकल  चुके  हैं  आँख  से  आंसू  की  तरह !