मुझको बतलाओ मुझे, कैसे भुलाओगी तुम!
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगी तुम!
मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगी तुम!
मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगी तुम!
खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगी तुम!
ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगी तुम!"
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगी तुम!
मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगी तुम!
मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगी तुम!
खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगी तुम!
ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगी तुम!"
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