क्या होगा मोहब्बत का असर जानता हूँ
दिल पर ही बरसेगा कहर जानता हूँ
इक तेरी ही चाह में मेरा तो सूख-चैन गया
पर तुझको नहीं है खबर जानता हूँ
दिल की तसल्ली के लिए बैठा हूँ किनारे पर
न आएगी मोहब्बत की लहर जानता हूँ
जब-जब तुझसे मिलने की दुआ है की मैंने
कैसे भूलूंगा वो शामो-सहर जानता हूँ
नाकाम हसरतों को लिए जी रहा हूं मैं
इक दिन तो पीना है जहर जानता हूँ.
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!