'तुम '' कितनी अच्छी लगती हो
जब गहरी सोचो में डूबे तुम हौले हौले चलती हो
जब तन्हाई के शोलो में तुम रफ्ता रफ्ता जलती हो
जब भीगे भीगे मौसम में तुम लम्हा लम्हा सोचती हो
जब अपनी काली आँखों से तुम मुझ को देखा करती हो
जब प्यार मोहब्बत के किस्से तुम कान लगा कर सुनती हो ,,
जब अपनी बोलती आँखों से तुम मेरा सब कुछ माँगा करती हो
जब दिल की मीठी बातों पर तुम थोडा सा घबराती हो
तो ऐसे सारे लम्हों में ऐ मेरी जाने -ऐ -जान
तुम क्या जानो "तुम कितनी अच्छी" लगती हो
Bahut aachi hai.....
ReplyDelete