कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा . .
कभी सारे जहाँ को हँसाने को जी चाहता है . . .
कभी छुपा लेते हैं गमो को दिल के किसी कोने में . .
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है . . .
कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी . .
और कभी बस यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है . . .
कभी हंसी सी आ जाती है भीगी यादो में . .
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है . . .
कभी अच सा लगता है आज़ाद उड़ना कहीं . .
और कभी किसी की बाँहों में सिमट जाने को जी चाहता है . . .
कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस ज़िन्दगी में . .
और कभी बस ऐसे ही जिए जाने को जी चाहता है . . .
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