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Saturday 24 March 2012

छोड़ के जाना न तुम मुझे......



मेरे लिए तो तेरी एक मुस्कान बहुत है
इतना तो करम कर दे एहसान बहुत है

सहता हूँ किस तरह तुझे मालूम नहीं है
मेरे दुश्मन की तरफ तेरा रुझान बहुत है

 खिंचता  ही जा रहा हूँ तेरी चाहत की तरफ मैं
वैसे तो मोहब्बत के सिवा काम बहुत है

दिल की सुनूँ मैं या ज़माने की सुनूँ मैं
मेरा दिल तेरी मोहब्बत में बदनाम बहुत है

अब आ गए हो छोड़ के जाना न तुम मुझे 
पहलू में तेरी मुझको आराम बहुत है, 

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