Wednesday, 28 March 2012
Tuesday, 27 March 2012
शीशा......
मैं उस के हाथों में था टूटे हुए शीशे की तरह..
बड़ी उम्मीद थी की बिखरने नही देगी,
बस गिराया कुछ इस अदा से की..
फिर सिमटने की आस ही न रही .
बड़ी उम्मीद थी की बिखरने नही देगी,
बस गिराया कुछ इस अदा से की..
फिर सिमटने की आस ही न रही .
मजबूर.......
कितने मजबूर हैं तकदीर के हाथों हम ,
ना तुम्हे पाने की हैसीयत रखते है ना तुम्हे खोने का होंसला....
ना तुम्हे पाने की हैसीयत रखते है ना तुम्हे खोने का होंसला....
गिला - शिकवा
मिला वो भी नहीं करते , मिला हम भी नहीं करते
गिला वो भी नहीं करते , शिकवा हम भी नहीं करते
किसी मोड़ पर टकराव हो जाता है अक्सर ही,
रुका वो भी नहीं करते ,ठहरा हम भी नहीं करते ...
गिला वो भी नहीं करते , शिकवा हम भी नहीं करते
किसी मोड़ पर टकराव हो जाता है अक्सर ही,
रुका वो भी नहीं करते ,ठहरा हम भी नहीं करते ...
Monday, 26 March 2012
दर्द
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तेरा क्या भरोसा एय हमसफ़र
तेरी मुख्तासिर सी नवाज़िशें मेरा दर्द और बढ़ा ना दे...
तेरी मुख्तासिर सी नवाज़िशें मेरा दर्द और बढ़ा ना दे...
Sunday, 25 March 2012
Saturday, 24 March 2012
पर ये ख्वाब है
बंद आखों में बिन बोले तुम चली आती हो
थोड़ी देर ही सही जीवन को महका जाती हो
मैं सोचता हूँ की कहीं ये सच तो नहीं है
पर ये ख्वाब है तुम धीरे से समझा जाती हो
थोड़ी देर ही सही जीवन को महका जाती हो
मैं सोचता हूँ की कहीं ये सच तो नहीं है
पर ये ख्वाब है तुम धीरे से समझा जाती हो
तुम्हारा आना ...... तुम्हारा जाना
कोई आ जाता है अक्सर मेरे गुमनाम ख्यालों में
उलझता जाता हूँ फिर मैं उसकी यादों के जालों में
सौ बार कोशिश कर लिया आ न सका उससे बाहर
जाने क्या सुख मिलता मुझे इन जी के जंजालों में.
उलझता जाता हूँ फिर मैं उसकी यादों के जालों में
सौ बार कोशिश कर लिया आ न सका उससे बाहर
जाने क्या सुख मिलता मुझे इन जी के जंजालों में.
छोड़ के जाना न तुम मुझे......
मेरे लिए तो तेरी एक मुस्कान बहुत है
इतना तो करम कर दे एहसान बहुत है
सहता हूँ किस तरह तुझे मालूम नहीं है
मेरे दुश्मन की तरफ तेरा रुझान बहुत है
खिंचता ही जा रहा हूँ तेरी चाहत की तरफ मैं
वैसे तो मोहब्बत के सिवा काम बहुत है
दिल की सुनूँ मैं या ज़माने की सुनूँ मैं
मेरा दिल तेरी मोहब्बत में बदनाम बहुत है
अब आ गए हो छोड़ के जाना न तुम मुझे
पहलू में तेरी मुझको आराम बहुत है,
मैं जानता हूँ .........
क्या होगा मोहब्बत का असर जानता हूँ
दिल पर ही बरसेगा कहर जानता हूँ
इक तेरी ही चाह में मेरा तो सूख-चैन गया
पर तुझको नहीं है खबर जानता हूँ
दिल की तसल्ली के लिए बैठा हूँ किनारे पर
न आएगी मोहब्बत की लहर जानता हूँ
जब-जब तुझसे मिलने की दुआ है की मैंने
कैसे भूलूंगा वो शामो-सहर जानता हूँ
नाकाम हसरतों को लिए जी रहा हूं मैं
इक दिन तो पीना है जहर जानता हूँ.
तुम्हे क्या पता...................
तुम्हे क्या पता कि क्या हो तुम......
बहती हुई नदी हो,
खूबसूरत फिजां हो तुम
तुम्हे क्या पता...................
मोहब्बत एक तहरीर है
अन्दाजें बयां हो तुम
तुम्हे क्या पता....................
सलीके इश्क कि महफ़िल में
शर्मो-हया हो तुम
तुम्हे क्या पता...................
बीते हुए कल की
एक खूबसूरत वाकया हो तुम
तुम्हे क्या पता...................
Friday, 23 March 2012
तेरा गुमान होता है......
किसी को देखते ही ही तेरा गुमान होता है.
मेरा हर ख्वाब बस यूँ ही तमाम होता है.
मैंने तो कदम रख दिया है राहे-इश्क में
देखता हूँ इस सफ़र का क्या अंजाम होता है.
ये तो मेरे दिल की फितरत है मैं क्या करूँ
इक तेरा दिल ही अब इसका मुकाम होता है.
मुमकिन नहीं है अब तो भूल जाऊं मैं तुम्हे
मेरे लब पे अब तो बस तेरा ही नाम होता है.
ऐ मेरे दिल अब ये तू मुझको भी बता दे
कि उसकी याद सिवा भी कोई काम होता है.
Thursday, 22 March 2012
Wednesday, 21 March 2012
Tuesday, 20 March 2012
Monday, 12 March 2012
Tuesday, 6 March 2012
कोई ख्वाब नहीं ....
मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है ,
मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ...
की तुम तो फिर भी हकीकत हो कोई ख्वाब नहीं ....
यहाँ तो दिल का यह आलम है क्या कहूं कम्बखत..
भुला सका ना यह वो सिलसिला जो था भी नहीं....
वो एक खयाल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हम में कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए ...
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
की तुम तो फिर भी हकीकत हो कोई ख़्वाब नहीं ...
Monday, 5 March 2012
' जान '.................
"बहुत दिन हुए बिछड़े हुए , दिल में कसक आज भी है
तूफ़ान तो थम गया , पत्थरो पे निशाँ आज भी हैं
हम हँसते है तो दुनिया समझती है ख़ुशी का आलम है
जो पल हाथों से निकल गया उसकी जुस्तजू आज भी है
खुदा गवाह है हमने किसी का दिल नहीं तोडा
शायद वो लौट आये , उसका इंतज़ार आज भी है
शबनम के चाँद कतरे हाथ में लेकर
तारो को एक तक देखते हुए
सूनी सड़क पर रात की स्याही में , चलते जाना आज भी है
हर इंसान कोशिश कर रहा है , मंजिल तक पहुँचने की
दुनिया के इस मजमें में , हम अकेले तनहा आज भी हैं "
कैसी है ना ये ज़िन्दगी हर पल एक नया ख्वाब देखती है , फिर अगले ही पल टूट कर बिखर जाती है . एक पल के लिए तो लगता है की ज़माने भर की खुशियाँ फिर लौट आई है पर अगले ही पल वो खुशियाँ फिर से चकनाचूर हो जाती हैं.
तुम से कुछ कहना चाहता था, पर समझ नहीं पा रहा था की बात शुरू कहाँ से करूँ ? पर कहीं ना कहीं से शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी ना . मैं कई दिनों से मन पर एक बोझ लिए जी रहा हूँ. मैंने कहीं पढ़ा था की आदमी के मन पर कोई बोझ हो तो उसे किसी से बाँट लेना चाहिए , इस से वो बोझ कुछ कम हो जाता है . अब तुम से बेहतर कौन होगा जिससे मैं अपने इस बोझ को बाँट सकूं ?
कुछ दिनों से देख रहा हूँ तुम मेरी ज़िन्दगी में शहद की तरह घुलती जा रही हो . मुझे तुम्हारी आदत सी पड़ती जा रही है . दिन में 1-2 बार tum से बात ना हो तो ऐसा लगता है की ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है . मुझे पता ही नहीं चला तुम कब मेरी ज़िन्दगी में आई और मेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन गयी .
काश ! तुम मुझे पहले मिली होती . एक पत्थर था मैं जो की ऊपर से समतल सा था , लेकिन भीतर हे भीतर खुद से उलझा हुआ . लोग मुझे संगदिल और घमंडी कहते , मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगता . लेकिन तुमने मेरे भीतर अंकित निबंध के एक एक शब्द को कितनी खूबसूरती और आसानी से पढ़ लिया था . तुम्हारी दोस्ती और साथ पा कर मैं उफनती नदी की तरह बहने लगा था . मुझे किनारों का होश ही कहाँ था , मैं तो सिर्फ बहते रहना चाहता था . तुम्हारे साथ गुज़ारा एक एक पल समेत लेना चाहता हूँ अपनी लहरों में.
कितनी घनी होती ही स्मृतियों की बगिया, इनमें से निकलना मुश्किल है और छोड़ना तो है ही दर्द की चुभन सा . कितने लम्बे कदम हैं इन सन्नाटों के की घिरता ही जा रहा हूँ मैं . कितना कुछ याद आ रहा है आज . यह मन भी बड़ा अजीब होता है , ज़िन्दगी जी कर सिर्फ खुशियों की उपलब्धियां जुटाता है और मादा बन्दर की तरह खुशियों के शत -विक्षत शव को सीने से लगाये रखता है .
मैं जानता हूँ ' जान ' मुझे Possessive नहीं होना चाहिए पर पता नहीं क्यूँ मैं ये बर्दाश्त नहीं कर सकता की तुम्हारे और मेरे बीच कोई आये . तुम और लोगों के साथ कैसे भी सम्बन्ध रखो पर मेरे और तुम्हारे रिश्ते से उन्हें दूर ही रखो . हमारी दोस्ती में उन लोगों की वजह से कोई फरक नहीं पड़ना चाहिए . इतनी उम्मीद तो मैं तुम से कर ही सकता हूँ ना जान .........
सवाल जवाब .....
उस से कहो एक बार भूल कर आ जाये ,
जो बीती है उस पर , वो तो सुना जाये ,
हंस हंस के ग़म छुपाने का हुनर ,
उस से कहो हम को भी सिखा जाये ,
उस की याद में तड़पता रहता हूँ हर पल ,
उस से कहो मेरे दिल से अपना नाम तो मिटा जाये ,
अरसा हुआ है चाँद को देखे हुए लोगो ,
उसे कहो के अपना चेहरा तो दिखा जाये ,
आये भी तो क्या दे सकूँगा उस को ,
फ़क़त एक ज़िन्दगी है , वो अपने नाम लिखवा जाये ....
आना तो है शायद कुछ देर हो जाए
जो बीती है उसका जखम भर तो जाये
ग़म छुपाने का हुनर नहीं है ये
हम तो तेरी याद में ही मुस्कुराये
दिल से मिटाना तो दूर की बात है
पहले उस पेड़ से तो नाम मिट जाये
हम इस उम्मीद से आसमान देखते हैं
शायद चाँद के जरिये ही बात हो जाये
खुश हैं सुनकार की तुम तो जिंदा हो
हम अपनी जिंदगी तो कब की दफना आये .
प्यार .......
वो ...
हर इकरार का मतलब इकरार नहीं होता..
हर इनकार का मतलब इनकार नहीं होता ..
यूँ तो हजारों से मिलती हैं नज़रें ..
हर नज़र का मतलब प्यार नहीं होता.
माना हर इकरार का मतलब इकरार नहीं होता..
माना हर इनकार का मतलब इनकार नहीं होता..
हजारों से मिलाती हो हम से चुराती हो ..
क्या नज़ारे चुराना भी प्यार नहीं होता .
Sunday, 4 March 2012
प्यारी प्यारी सी जान .........
'तुम '' कितनी अच्छी लगती हो
जब गहरी सोचो में डूबे तुम हौले हौले चलती हो
जब तन्हाई के शोलो में तुम रफ्ता रफ्ता जलती हो
जब भीगे भीगे मौसम में तुम लम्हा लम्हा सोचती हो
जब अपनी काली आँखों से तुम मुझ को देखा करती हो
जब प्यार मोहब्बत के किस्से तुम कान लगा कर सुनती हो ,,
जब अपनी बोलती आँखों से तुम मेरा सब कुछ माँगा करती हो
जब दिल की मीठी बातों पर तुम थोडा सा घबराती हो
तो ऐसे सारे लम्हों में ऐ मेरी जाने -ऐ -जान
तुम क्या जानो "तुम कितनी अच्छी" लगती हो
उनका ख्याल आते ही .......
उनका ख्याल आते ही , इक और खायाल आया
मुद्दत हुई है यार का , कोई ना हाल आया ...
सावन में रुत ना बरसी , ना बसंत फूल लाया
तेरे प्यार में तेरे बिन , ऐसा भी साल आया ...
चाहोगी भी तो मुझको , अब कुछ ना कर सकोगी
माजी की क़ैद में मैं , खुद को संभाल आया ...
तस्वीर देखता हूँ , हर रोज़ मैं तुम्हारी
क्या तुमको भी कभी यूँ मेरा ख्याल आया ?
यादों के ढेर पे मैं , बैठा रहा , अकेला
जितनी भी हसरतें थीं , यूँ ही निकाल आया
जितने भी ख़त लिखे थे , शिकवे शिकायतों के
मैं आज उन सभी को पानी में डाल आया ...
उनका ख्याल आते ही इक और ख्याल आया
मुद्दत हुई है यार का , कोई ना हाल आया ...
बेटी ....
सजा नहीं सपना होती है बेटी
गैरों के बीच अपनी होती है बेटी .
रंगों से सजाती है आंगन घरो के
आंगन की अल्पना होती है बेटी .
"वेदना " नहीं वरदान होती है बेटी
आस्था और अरमान होती है बेटी .
वजूद उसका कभी मिट सकता नहीं
भार नहीं जीवन का सार होती है बेटी .
सुख की सुबह हो या गम की शाम
बिना कहे हर पल साथ होती है बेटी .
जीवन की उलझी रहो के बीच
एक सहज संवेदना होती है बेटी .
हक होता है मगर हक की बात कभी करती नहीं
हकीकत और हसरतो का इन्द्रधनुष होती है बेटी .
आँखों में रख कर पलकों से सजाती है जीवन
सच पूछो तो कभी सीता कभी राम होती है बेटी .
JAAN......My Search Always End On You..
I feel lucky to have your heart, one that is so pure and true,
I don’t know where to start,but my search always ends on you..
I don’t know where to start,but my search always ends on you..
All your thoughts drive me insane, I fall for you over and over again
I don’t know if I’ll find any clue, but my search always ends on you..
I don’t know if I’ll find any clue, but my search always ends on you..
This ain’t something I can ignore,
there are questions all over to explore,
I don’t know if I’ll end up blue,
but my search always ends on you..
I have been walking for a while,
seems like haven’t reached venue,
I don’t know if I can walk another mile but.
my search always ends on you..
I feel your every word is like wine
one that is sweeter than morning dew,
I don’t know If I’ll Make you mine,
but my search always ends on you..
There cannot be a better time
To say everything I ever wanted to,
I don’t know if loving you is crime but,
my search always ends on you..
I came to you with ring and bouquet
There is nothing more I can say or do,
I don’t know if you’ll say yes or walk away but,
my search always ends on you..
This ain’t just a propose for truce but,
to know if you love me too,
I don’t know if I’ll get some excuse but,
my search always ends on you..
I wish all the time that you be my wife
We’ll be together for the rest of our life,
I promise I’ll never want anyone but you
Because my search always ends on you..
गुज़ारिश एक है तुम से ....
मेरी ख़ामोशी ने
जितने तराने छेड़े हैं
तुम पर ...
कभी महसूसना उन को
कभी उन पर थिरक लेना
मुकम्मल साज़ हो लेंगे
मेरे अलफ़ाज़ हो लेंगे
गुजारिश एक है तुमसे ...
मेरी पलकों के कोरों पर
जो आंसू सहमे रहते हैं
हंसी की ओट में हर पल...
कभी तुम भीगना उन में
कभी उन संग सिसक लेना
मेरी तकलीफ के लब पर
तबस्सुम खिलखिलाएगी
मोहब्बत खिलती जायेगी ..
गुजारिश एक है तुमसे ...
जितने तराने छेड़े हैं
तुम पर ...
कभी महसूसना उन को
कभी उन पर थिरक लेना
मुकम्मल साज़ हो लेंगे
मेरे अलफ़ाज़ हो लेंगे
गुजारिश एक है तुमसे ...
मेरी पलकों के कोरों पर
जो आंसू सहमे रहते हैं
हंसी की ओट में हर पल...
कभी तुम भीगना उन में
कभी उन संग सिसक लेना
मेरी तकलीफ के लब पर
तबस्सुम खिलखिलाएगी
मोहब्बत खिलती जायेगी ..
गुजारिश एक है तुमसे ...
जी चाहता है . . .
कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा . .
कभी सारे जहाँ को हँसाने को जी चाहता है . . .
कभी छुपा लेते हैं गमो को दिल के किसी कोने में . .
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है . . .
कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी . .
और कभी बस यूँ ही आंसू बहाने को जी चाहता है . . .
कभी हंसी सी आ जाती है भीगी यादो में . .
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है . . .
कभी अच सा लगता है आज़ाद उड़ना कहीं . .
और कभी किसी की बाँहों में सिमट जाने को जी चाहता है . . .
कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस ज़िन्दगी में . .
और कभी बस ऐसे ही जिए जाने को जी चाहता है . . .
मेरी ज़िन्दगी है वो ..
मुझे लगता है ऐसा कभी कभी
जैसे वो अजनबी लड़की
मुझ से प्यार करती है
मुझे चाहती है
अक्सर यूँही छुप्प छुप्प के
देखती है , जाने क्या सोच कर
नज़रें चुरा जाती है
कुछ घबरा सी जाती है
अपने आँचल को हवाओं के ज़ोर पर लहराती है
महसूस मुझे यह होता है के
शायद मुझे वोह बहुत चाहती है
मुझे ऐसा एहसास दिलाती है जैसे
वोह मुझ से कुछ कहना चाहती है
मेरे पूछने पर कुछ शर्मा सी जाती है
कुछ घबरा सी जाती है
"सुनो" कह कर भाग जाती है
अजनबी लड़की शायद प्यार करती है मुझ से
ऐसा महसूस होता है जाने क्यूँ मुझे
दिल भी कितना पागल है क्या क्या
सोचता रहता है
कुछ मासूम से जज्बें हैं
कुछ अनदेखे सपने हैं
मगर वो नहीं जानती शायद
मेरी ज़िन्दगी है वो ..
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