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Tuesday 17 April 2012

तुझे भूलते जाते हैं.........


बुझती हुयी साँसों से हर वादा निभाते हैं
तुझे भूलते जाते हैं...तुझे भूलते जाते हैं
उम्मीद से हर रिश्ता तोडे हुए हम
तेरे दर है जब से छोड़ा..अपने घर भी कहाँ जाते हैं
वीरानियों से निस्बत कुछ दिन से बढ़ गई है
हम तनहा रह के ख़ुद को तेरे और करीब पाते हैं
खुदा भी आजकल है मुझपर मेहरबान अजब देखो
जब चाहता हूँ अश्क उमड़ते चले आते हैं
तू फ़िक्र न कर तेरी रुसवाई का मेरे हमदम
जिससे भी मिलते हैं हर लम्हा मुस्कुराते हैं
अब तो खूब सीख लिया हमने झूठ बोलने का हुनर
कह रहे हैं तुझे भूलते जाते हैं...हाँ, भूलते जाते हैं...

1 comment:

  1. बुझती हुयी साँसों से हर वादा निभाते हैं
    तुझे भूलते जाते हैं...तुझे भूलते जाते हैं
    .
    .
    .
    .
    .
    अब तो खूब सीख लिया हमने झूठ बोलने का हुनर
    कह रहे हैं तुझे भूलते जाते हैं...हाँ, भूलते जाते हैं...

    Beautiful.......

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