Vedna ( वेदना )
Tuesday, 27 May 2014
Tuesday, 22 April 2014
Tuesday, 4 March 2014
Monday, 30 December 2013
मुझे खामोश रहने दो ..
मुझे खामोश रहने दो ..
मुझे खामोश रहने दो ,
सुना है इश्क़ सच्चा हो ,
तो ख़ामोशी लहू बन कर ,
रगों में नाच उठती है ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ,
उसे मैं क्यूँ बताऊँ ,
उसे मैंने कितना चाहा है ,
बताया तो झूठ जाता है ,
कि ...
सच्ची बात की खुश्बू ,
तो खुद महसूस होती है ,
मेरी बातें ,
मेरी सोचें ,
उसे खुद जान लेने दो ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ..
मुझे खामोश रहने दो ,
सुना है इश्क़ सच्चा हो ,
तो ख़ामोशी लहू बन कर ,
रगों में नाच उठती है ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ,
उसे मैं क्यूँ बताऊँ ,
उसे मैंने कितना चाहा है ,
बताया तो झूठ जाता है ,
कि ...
सच्ची बात की खुश्बू ,
तो खुद महसूस होती है ,
मेरी बातें ,
मेरी सोचें ,
उसे खुद जान लेने दो ,
अभी कुछ दिन मुझे
मेरी मोहब्बत आज़माने दो ..
Thursday, 5 December 2013
Wednesday, 27 November 2013
Monday, 9 September 2013
Monday, 19 August 2013
Tuesday, 30 April 2013
Monday, 22 April 2013
Tuesday, 16 April 2013
"ज़िन्दा हूँ मै"..
अरसे बाद आज
हुई बात उनसे,
तो जाना कि
"ज़िन्दा हूँ मै"...
कुछ जवाब-सवालात ने
वो पल लौटा दिए फिर से,
याद आये वो पल तो जाना कि
"ज़िन्दा हूँ मै"...
झरने की तरह
होंठों से फूटती वो हंसी,
अमरत्व का रस, सा
उस एक पल में घोल गयी...
उबरी जो एकाएक
उस एहसास से,
तो जाना कि
'ज़िन्दा हूँ मै' ...
हुई बात उनसे,
तो जाना कि
"ज़िन्दा हूँ मै"...
कुछ जवाब-सवालात ने
वो पल लौटा दिए फिर से,
याद आये वो पल तो जाना कि
"ज़िन्दा हूँ मै"...
झरने की तरह
होंठों से फूटती वो हंसी,
अमरत्व का रस, सा
उस एक पल में घोल गयी...
उबरी जो एकाएक
उस एहसास से,
तो जाना कि
'ज़िन्दा हूँ मै' ...
Monday, 15 April 2013
मेरा वजूद..
मुझको बतलाओ मुझे, कैसे भुलाओगी तुम!
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगी तुम!
मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगी तुम!
मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगी तुम!
खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगी तुम!
ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगी तुम!"
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगी तुम!
मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगी तुम!
मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगी तुम!
खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगी तुम!
ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगी तुम!"
Monday, 21 January 2013
Thursday, 17 January 2013
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